5 सर्वोत्तम तरीके जीवन जीने के

जीवन जीना यानि क्या? जब हमारी निराशा आशा में बदल जाएगी, तो जीवन अपने आप बदल जाएगा। निराशा को आशा में बदलकर हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं, इसके बारे में जानिऎ। हालांकि, निराशा कोई ऐसी चीज नहीं है जिसके चंगुल में फंसा कोई भी व्यक्तिइससे बाहर न निकल सके या जीवन को उम्मीद में न बदल सके। यदि आप प्रकृति के प्रति अपने प्रेम को बढ़ाते हैं और अपनी संगति में उसका विश्लेषण करते हैं, तो आपको बहुत सी ऐसी चीजें दिखाई देंगी जो आपको आनंदमय जीवन जीने और निराशा की हर भावना को त्यागने के लिए प्रेरित करेंगी। इसलिए, हम जीवन जीने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में चर्चाकरेंगे और निराशा को छोड़ना चाहेंगे। 5 सर्वोत्तम तरीके जीवन जीने के.

5 सर्वोत्तम तरीके जीवन जीने के
5 सर्वोत्तम तरीके जीवन जीने के | i'mBiking | Photo by Ali Arapoğlu from Pexels

अपनी आशाओं को जीवित रखें।

कभी भी घास के उस नरम पौधे को न देखें जिस पर लोग अक्सर अपने पैरों से चलकर आगे बढ़ते हैं और इंसानों के पैरों के नीचे बार-बार कुचले जाने के बावजूद यह जमीन पर मुरझा नहीं रहता है। हर बार वह फिरसे खिलकर उठता है और हवा में लहराने का साहस दिखाता है, इसके साथ अपनी ऊंचाई को भी बनाए रखता है।
इसलिए, जब एक छोटा और कमजोर घास का पौधा आशादायी होने का इतना बड़ा उदाहरण पेश कर सकता है, तो आप भी दिखा सकते हैं कि आप भी इंसान के रूप में कितने अद्भुत हैं। दुनिया के तमाम लेखक, महापुरुष, समाज सुधारक, नेता और विजेता आदि सभी आशावादी रहकर इस हद तक ऊंचाई तक पहुंचे हैं। अपने लिए सोचने की कोशिश करें, इन सभी महान व्यक्तियों ने जीवन में पहले निराशा को आशा में बदलने की तरकीब सीख ली, फिर वे नई आशाओं के साथ आगे बढ़ने में सक्षम हुए।

अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करें।

अगर एक सैनिक निराशा में पड़ जाता है, तो उसकी हार निश्चित है और अगर यह निराशा किसी छात्रया प्रतियोगीता परीक्षाके उम्मीदवार में बस जाती है तो उसकी असफलता निश्चित है। इसका कारण यह है कि, निराशा शारीरिक और मानसिक शक्ति को निगल जाती है और उसे किसी भी कार्यमें सफलता के योग्यनहीं छोड़ती है। इसके विपरीत मन की आशा मनुष्य में उसकी शारीरिक और मानसिक शक्तिको इस कदर बढ़ा देती है कि चाहे कोई भी कठिन या बड़ा कार्य क्यों न हो, व्यक्तिकी जीत या सफलता पक्की हो जाती है। आप अपनी आंतरिक निराशा को आशा में बदल सकते हैं, आइए देखते हैं अपने जीवन में इसके कुछ असामान्य तरीके अपनाकर आप कैसे बेहतर जिन्दगी पा सकते है।

अपना जीवन कैसे व्यतीत करें।

सबसे ऊपर, सबसे पहले, दूसरों से इर्षा या घृणा करना बंद करो, कारण यह है कि नकारात्मकता एक घणा अंधेरा रहता है जहां वे भ्रष्टहोते हैं। अगर मन में नकारात्मकता है तो सकारात्मकता कभी नहीं होती। फिर जहाँ सकारात्मकता नहीं होती, वहाँ आशा नहीं रहती, क्योंकि केवल उस व्यक्तिकी सकारात्मक सोच ही अपने आप में आशा जगाती है। उजाले की चिंगारी जलाकर उम्मीद की एक नई किरण पैदा करती है।

Photo by Lukas from Pexels

दूसरा है, उन लोगों की बिल्कुल भी परवाह न करें जो केवल आप के अवगुणों की तलाश करते हैं और उन्हें उनमें से कोई अच्छेगुण नहीं देखते हैं। क्योंकि, ऐसे लोग जीवन में आशावादी रूप से आगे नहीं बढ़ सकते हैं या आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं। उन लोगों पर ध्यान दें जो आपके सामान्य गुणों के असाधारण गुणों को बदलना पसंद करते हैं। इसके आलावा, अपनी आत्म-प्रेरणा का स्रोत बनें और अपने भीतर आशा का पौधा लगाएं।

-तीसरा, जीवन की परिस्थितियों का सामना किए या उनका विश्लेषण किए बिना कभी भी कोई निर्णय न करे या न लें। दशा और दीशा की स्थिति का विश्लेषण कर निर्णय ले। जीवन में किसी भी आपदा को स्थाई न समझें, समाधान की कामना करके साहस दिखाएं। जब हममें साहस हो और आशा का साथ दिया जाए तो हर कठिनाई का समाधान हो सकता है।

चौथा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कुछ समय के लिए नाखुश हैं, तो क्या? यदि आप सोचते हैं कि मुझे कभी दुखी नहीं होना चाहिए, तो यह भी दुख का कारण बनता है। वैसेही, बहुत समय दुख में बिताना भी खतरे से खाली नहीं है, जीवन वह है जो खुशियों से भरा हो। लंबे समय तक दुःख सहने से जीवन बर्बाद हो जाएगा। कोई बात नहीं, दुख हमारे जीवन का एक हिस्साहै। बस इस दुख से निकलने का रास्ता खोजे और फिर से खुशियों की ओर बढ़ो।

आखिर में, दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय, जो आपके पास है उसमें खुशी से जीवन जीने की आदत डालें, क्योंकि उस व्यक्तिमें आशा कायम नहीं रह सकती जो हमेशा छोटी-छोटी चीजों के लिए दूसरों की ओर देखता है यानि अपेक्षारखता हो। हमेशा अपने आत्मसम्मान को बनाए रखने की कोशिश करें और आत्मनिर्भर जीवन जीना सीखें। अगर हम ऐसा करते हैं तो निराशा भी आशा के सूरज की तरह चमकेगी और आगे बढ़ती रहेगी।

Summary

This article explores a person's reason for living life, tells the story of how to live life to a person surrounded by despair. In this article, the ways for that person to convert a hopeless life into hope, and how these methods help in maintaining their mental health. Your whole life goes through episodes like hope, despair, or joy and sorrow. Hence, this article provides a guide to get out of the phase of your pessimistic life. How to spend your whole life, know only in Five Best Ways to Live Life.

[rb_related title="Also in This Issue" total="2"]

मराठी सारांश

हा लेख एखाद्या व्यक्तीचे जीवन जगण्याचे कारण शोधतो, निराशेने वेढलेल्या व्यक्तीला जीवन कसे जगावे याची कथा सांगते. या लेखात त्या व्यक्तीचे हताश जीवनाचे आशेमध्ये रूपांतर करण्याचे मार्ग आणि या पद्धतीने त्यांचे मानसिक आरोग्य राखण्यात कशी मदत करतात हे सांगितले आहे. तुमचे संपूर्ण आयुष्य तुमचे सुख, दु:ख आणि आशा, निराशा यांसारख्या प्रसंगांतून जाते. म्हणूनच हा लेख तुमच्या निराशावादी जीवनाच्या टप्प्यातून बाहेर पडण्यासाठी मार्गदर्शन प्रदान करतो. तुमचे संपूर्ण आयुष्य कसे घालवायचे, जीवन जगण्याचे फक्त पाच सर्वोत्तम मार्गमध्ये जाणून घ्या.

Also read, Anger: The product of different understanding

10 Tips From Experts In Amazon Self Publishing books

person holding amazon kindle ebook | 7 Simple strategies to increase your amazon book sales online

Amazon self-publishing books is perceptive nowadays. It is easiest, cost saving, freedom to write, fastest and easily made available tools which provided with printing and e-book facility.

Book publishing is among the most prominent businesses worldwide. However, it can be a long and tedious process to pass through the multiple checks of traditional publishers and their editors and manuscript reviewers. You may even be an author who is absolutely fed up with querying and rejection emails. Yet, you haven’t found a way out of traditional publishing or the web of vanity publishers.

person holding amazon kindle ebook | 7 Simple strategies to increase your amazon book sales online
Photo by özgür on Pexels.com

However, I’d like to tell you that the modern publishing industry has now created a great solution in the form of self-publishing platforms for all those authors. Who dreams to touch and feel their hard work sooner than they would do via a traditional route. As a self-published author myself, I’d love to share below some wonderful benefits of self-publishing that may clear a few of your confusions about it.

Freedom to write

Whether you are a fantasy writer or a mystery author, you may not like to be bound by the genre in which you write or in the style you write. As every author has their own way of expressing their thoughts and communicating what their soul desires to communicate, they need the freedom to write, like they need their food or a few cups of coffee, probably! If you are that type of writer who wishes to break the boundaries with their creative work, then self-publishing would allow you to follow your heart and never judge you for what you create.

Faster self-publishing

Amazon Self-publishing books tremendously cuts down on the waiting time for your book to arrive in the market and reach the appropriate reader base. Most Amazon self-publishing platforms provide you with options to easily create your books using the basic manuscript you have. On top of that, popular platforms like Amazon Kindle Direct Publishing also connect you to the paid services if you are unable to edit your own book or format it. With such help, you can quickly complete the process of preparing your book for self-publishing.

Availability of help tools

If you are stressed about creating your book cover or formatting it for a digital platform, then you should stop worrying. Self-publishing platforms may offer you the online options to create digital and paperback book covers and even take care of your problem to get the ISBN numbers for your physical books. You may also download their easy-to-use software tools when you are ready to develop a platform-compatible manuscript file that can be accessed seamlessly by the readers who use different reading devices, such as Kindle e-readers.

Self-publishing is Affordability

Instead of being trapped by a vanity publisher that charges you a huge sum of your hard-earned money for publishing your work, why not choose an option that lets you come up with your book at almost no cost! Yes, self-publishing usually does not involve any direct costs, while you may have to spend on add-on services if you cannot edit your content by yourself, illustrate for your words, or design a cover. However, these indirect costs will anyway have to be paid for, even when you go for traditional publishing. You can also save more if you are aware of the free third-party services for cover creation and design or content formatting.

Multiple printing options

Most authors find it annoying to follow every rule of printing and publishing their book that is dictated by a traditional publisher. If you feel the same way, then Amazon self-publishing not only rescues you but gives you many options to print your book the way you desire. You can decide on the look and feel of the manuscript and the cover, as well as the paper type and texture you would use to print it. Different printing options are available at different prices. Thus, you can even select a lower-cost printing option as per your budget or the profit margin you want to keep.

Amazon self-publishing books Choices galore

Since you are the publisher on Amazon self-publishing platform, you can review numerous choices while producing a publish-ready book. From a variety of design fonts and colors to a wide range of print paper sizes and finishes, everything remains under your control.

Higher royalties at Amazon Self Publishing

The most lucrative thing about self-publishing is the receipt of every penny of royalty directly in your bank account. There are no middlemen, except what the platform charges for printing your book and distributing it online or offline. While traditional publishing may not even fetch you a breakeven amount in spite of its promotional hassles, you can claim a much higher royalty rate from self-publishing platforms, provided you are good at product marketing and finding workable promotional platforms. Well, nothing comes without hard work.

Final thoughts

Using your money for advertising your self-published work not only brings in improved financial rewards, but also keeps you away from money-sucking vanity publishers. Self-publishing is a fine way to achieving creative control, motivating self to produce better work. And most of all, empowering self and learning to be independent in your choices and decisions as a managing authority of what is precious to you.

My writing is a play of emotional connection with my characters

Writing is a slow and steady skill that develops from extensive reading and an emotional connection. These below listed down are my thoughts on how writing shaped me and I will tell you how I craft the one.

Sustainability is important in writing.

Above all, life experience makes me a better writer! While I have always loved to read, I struggled with writing until I had been through several life experiences, both positive and negative, that left me holding on to a lot of emotion. There was no place for this emotion to go except onto the page, so onto the page (and another page, and another…) it went!


Being part of a writing community really encourages me to be a better writer—these days, that mostly happens through Twitter. When I publish short pieces, share them on Twitter and get responses from other writers and readers, it emphasizes the fact that I’m not dropping words into a vacuum—there are actual humans reading and responding to my work! This encourages me to always push myself to write better, to live up to the very high standards set by my fellow authors.

Reading, my first love, is the root of any talent I possess as a writer. I spent so much of my childhood and teen years lost in literary worlds, and all that reading helped me understand how to use language to tell a compelling story and to evoke emotion from readers. It also taught me to see everything—a myth or fairy tale, a crazy news story, a beautiful flower or a piece of trash on the street—as the potential inspiration for a story of my own. Reading teaches us to observe the world carefully, to see things through different perspectives, and if we become writers ourselves, to share these perspectives with readers.

I was more of a reader in my childhood

Compared to many writers, I probably did very little creative writing as a child. I always wanted to write stories, but I was also a perfectionist, so I would write a sentence or two, decide it wasn’t good enough and abandon it. Truth be told, I preferred reading to writing. I liked getting lost in other people’s worlds. Even in high school and college, I wrote stories for classes, but couldn’t motivate myself to write too much on my own time. I went on to attend graduate school for writing and wrote a few young adult novels—so my first stage of writing very intensely was in my mid to late twenties.

However, I still didn’t enjoy the process of writing, and I ended up taking a long break from writing while pursuing other jobs. As I mentioned above, it was going through a lot of emotional upheaval, including a difficult breakup and a lot of career changes, that made me want to return to writing. So in my thirties, I began writing again—first with a novel, and then with an explosion of poetry and creative nonfiction pieces. This was the first time I really felt like a writer—writing had become a cathartic experience for me, something I was compelled to do, a way to share my voice with the world.


As for my writing secrets? Well, the biggest secret of all may be that there are no secrets—writing is hard for everyone, and you have to find what works for you. But based on my own experience, I would say that the more emotional connection you feel to your writing, the more meaningful it will be for you and ultimately for readers.

At the beginning of the day, I write with a fresh mind

When I’m working on a longer writing piece, like a novel, or when I’m trying to finish a piece for a deadline, I always start writing as soon as I open my computer in the morning, before I do any other work. This way my freshest, most creative thoughts make it onto the page. Of course, often the real world and my freelance work intrudes, and I don’t have as much time to devote to writing as I would like. For me, what’s more helpful than having a fixed writing schedule is reminding myself that writing is just as important as work I’m getting a paycheck for. Occasionally, I have to give up sleep for writing, and I definitely give up a lot of movie or TV-watching time. But ultimately, I have to believe that my efforts will pay off (emotional connection).

Fairy tales are more than true—not because they tell us dragons exist, but because they tell us dragons can be beaten.

G.K. Chesterton

My advice to my fellow writers

When I was younger, I let perfectionism get in the way of my writing and didn’t allow myself to enjoy the process. I was focused on creating an end product that was worthy of publication, and as a result, my writing was often stiff and didn’t get to the messy emotional heart of a topic. So, I would suggest giving yourself room to experiment and try things that fail. Think of writing as a process rather than a product, and give yourself the chance to grow. And, of course, allow yourself time to live and have experiences as well—they will ultimately enrich your writing so much.

This is how my characters inspire me

I recently saw an author comment on Twitter that her characters experience more growth than she does, and I would say that the same is true in my writing. My characters often start off with many of the same struggles I have—including staying stuck in bad relationships, punishing themselves, isolating—but in a book you want to see characters grow and change. So, my characters actually reach a level of self-acceptance that I have not, and writing these character journeys is a powerful act for me. It shows me that this level of change and self-acceptance is possible, and gives me hope that I will reach it in real life as well.

When I write, I am telling myself a story as much as I’m telling readers one—I’m giving myself hope, creating a world in which characters can slay their dragons, can defeat their problems both internal and external. I believe that stories and language truly are magic—they allow us to transform and to share our experience with people we’ve never met. Writing may be the closest I ever come to performing magic, and I’m happy with that!

Also, read Ethan on his secret to writing and Theophanes Avery's strength and inspirations in her writings.

युगांतर: गांधीजी एक क्रांतिकारी युगपुरुष

इंग्रजाच्या जुलुमशाहीला, त्यांच्या बेबंदशाहीला संघटीत ताकद आणि वाणीच्या जोरावर भिडलेला हा महात्मा खरच एक महान व्यक्तिमत्व होते. याने इंग्रजाच्या जागतिक दर्जाच्या फौजेला केवळ आपल्या लाठीच्या ताकदीच्या जोरावर नमवलं. ते मुळात एक आध्यात्मिक व्यक्तिमत्व होते, त्यांचे हृदय मोठे होते, म्हणूनच त्यांना महात्मा म्हटले गेले. पण यामुळे देश आणि समाजाच्या समस्यांपासून त्यांनी कधीच दूर पळ काढला नाही. देश आणि देशवासियांबद्दल त्यांचे प्रेम आणि आपुलकी होती. त्यांनी इंग्रजीचे शिक्षण घेतले आणि ते त्या वेळी परदेशी शिकलेले बॅरिस्टर असूनही, त्यांनी मायदेशी येऊन त्यांचा संपूर्ण रंगढंग बदलला. रहाणीमान बदलत 'टाय-कोट संस्कृती' सोडून त्यांनी फक्त एक धोती अंगीकारली. इतिहासातील सर्व परकीय आक्रमणामुळे फाटलेल्या या देशात पसरलेल्या अगणित संस्कृती, रियासत एकत्र करून गांधीजींनी त्याच राष्ट्रीय अभिमानाने भारताची पुनर्रस्थापना करण्याचा प्रामाणिक प्रयत्न केला. म्हणूनच आपण त्यांना राष्ट्रपिता म्हणतो.

     केवळ देशातच नव्हे तर मार्टिन ल्यूथर किंग आणि नेल्सन मंडेला सारख्यानी परदेशातही महात्मा गांधींनी महात्मा गांधींना आपला आदर्श मानले. तथापि, त्यांना अगणिक टीकेलाही सामोरे जावे लागले; त्यांना आणि त्याचे योगदान पूर्णपणे संपवून टाकण्याचे प्रयत्नही झाले. पण गांधीशिवाय भारताचा इतिहास लिहिणे शक्य आहे का? कदापि नाही, किंबहुना भारतीय स्वातंत्र्य लढ्याचे अहिंसात्मक नेतृत्वच त्यांनी केले असे म्हटले तर वावगे ठरणार नाही.

गांधीयुगाची पाश्वभूमि

गांधी युग: 1919-1948

आधुनिक इतिहास
मोहनदास करमचंद गांधी (जन्म: 2 ऑक्टोबर 1869; मृत्यू: 30 जानेवारी 1948)

 महात्मा गांधी म्हणूनही ओळखले जाणारे हे निर्भीड व्यक्तिमत्व, 9 जानेवारी रोजी दक्षिण आफ्रिकेतून भारतात परतले. 1893 मध्ये दादा अब्दुल्ला या भारतीय मुस्लिम व्यापा-याचा खटला लढण्यासाठी ते दक्षिण आफ्रिकेत गेले. तिथे त्याने भारतीयांशी भेदभावपूर्ण वागणूक पाहिली. एकदा जेव्हा ते दक्षिण आफ्रिकेत ट्रेनने प्रवास करत होते,त्याच वेळी मेरिट्झबर्ग नावाच्या स्टेशनवर, एका इंग्रजाने त्याला ट्रेनमधून ढकलले. या घटनेतून गांधीजींना नवी दिशा मिळाली. त्यांच्या दक्षिण आफ्रिकेतील मुक्कामा दरम्यानच गांधीजींनी भारतीयांबद्दल स्वीकारलेल्या वर्णभेदी धोरणांविरोधात संघर्ष सुरू केला. त्यांच्या चळवळीला संघटनात्मक आकार आणि दिशा देण्यासाठी त्यांनी नेटल इंडियन काँग्रेस, टॉल्स्टॉय फर्म (जर्मन कारागीर मित्र कॅलेन बागच्या मदतीने) आणि फिनिक्स आश्रम अशा अनेक संघटना स्थापन केल्या. दक्षिणेतच गांधीजींनी इंडियन ओपन नावाचे वृत्तपत्रही प्रसिद्ध केले.

गांधीजींनी भारतीय राजकारणात पदार्पण

     गांधींच्या दक्षिण आफ्रिकेतील चळवळीच्या यशस्वी आचरणाचा परिणाम म्हणून, तेथील सरकारने 1914 पर्यंत बहुतेक भेदभाव करणारे काळे कायदे रद्द केले. गांधीजींचे हे पहिले यश होते जे त्यांनी अहिंसेच्या मार्गाने मिळवले. इ.स.1915 मध्ये भारतात आल्यानंतरच गांधीजींनी भारतीय राजकारणात पदार्पण केले. महात्मा गांधी गोपालकृष्ण गोखले यांना आपले राजकीय गुरु मानले. यावेळी पहिले महायुद्ध चालू होते आणि गांधीजींनी या युद्धात ब्रिटिशांना साथ दिली आणि भारतीयांना सैन्यात भरती होण्यासाठी प्रोत्साहित केले. या कारणास्तव त्याला 'भर्ती सार्जंट' म्हटले जाऊ लागले. ब्रिटिश सरकारने त्यांचा केसर-ए-हिंद या पदवीने सन्मान केला. पहिल्या महायुद्धातील सहकार्याच्या बदल्यात भारतीयांना स्वराज मिळेल, असा गांधीना विश्वास होता. गांधीजींनी 1915 मध्ये अहमदाबादमध्ये साबरमती आश्रमाची स्थापना केली. या माध्यमाने सर्जनशील कार्याला प्रोत्साहन देणे हा त्याचा हेतू होता. भारतीय राजकारणातील प्रभावशाली नेता म्हणून गांधींचा उदय, उत्तर बिहारचे चंपारण आंदोलन, गुजरातचे खेडा शेतकरी आंदोलन आणि अहमदाबादच्या कामगार वादाचे यशस्वी नेतृत्व केल्यानंतर हे घडले. चंपारण आणि खेडा चळवळ शेतक-यांच्या समस्यांशी संबंधित असताना, अहमदाबादच्या कामगारांच्या वादाच्या पार्श्वभूमीवर कापूस कापड गिरणी मालक आणि कामगारांमध्ये वेतन वाढ आणि प्लेग बोनस देण्याबाबत वाद झाला. अहमदाबादमधील प्लेग संपल्यानंतर गिरणी मालकांना बोनस रद्द करायचा होता. गिरणी मालकांनी केवळ 20 टक्के बोनस स्वीकारला आणि धमकी दिली की जो कर्मचारी हा बोनस स्वीकारणार नाही त्याला कामावरून काढून टाकले जाईल. 35 टक्के बोनसच्या कामगारांच्या मागणीला समर्थन देत गांधीजी स्वतः संपात सामिल झाले.  या संपूर्ण प्रकरणावर न्यायाधिकरणाने कामगारांच्या मागणीला न्याय दिला आणि 35 टक्के बोनसचे आदेश दिले. या गिरणी मालकांपैकी एक गांधींचे मित्र अंबालाल साराभाई होते, ज्यांनी साबरमती आश्रमाच्या बांधकामासाठी मोठ्या प्रमाणात आर्थिक योगदान दिले. अहमदाबाद कामगार चळवळीत अंबालाल साराभाई यांची बहीण अनुसूयाही गांधी यांच्यासोबत होती.

गांधींचे आदर्श, तात्विक विचार, विचारधारा आणि जीवनपद्धती

    सत्याग्रहाच्या सुरुवातीच्या प्रयोगाच्या यशाने गांधीजींना सामान्य माणसाच्या अधिक जवळ आणले. गांधींचे आदर्श, तात्विक विचार, विचारधारा आणि जीवनपद्धती यांनी त्यांना सामान्य लोकांच्या जीवनाशी जोडले. ते गरीब, राष्ट्रवादी आणि बंडखोर भारताचे प्रतीक बनले. हिंदू-मुस्लिम ऐक्य, स्त्रियांची सामाजिक स्थिती सुधारणे आणि अस्पृश्यते विरोधात काम करणे ही त्यांची इतर मुख्य उद्दिष्टे होती. इ.स.1919 च्या जालियनवाला बाग हत्याकांडाने ब्रिटिश सरकारप्रती गांधींचा दृष्टिकोन बदलला आणि तद्दनंतर या सरकार विरोधी संघर्षाचे 'गांधी युग' सुरु झाले.

    उच्च विचार आणि साधे जीवन हेच त्यांना सर्वात प्रिय होते, जर संघर्ष असेल तर हिंसा का, एक मेकाच्या रक्ताची तहान का या माणसाला, असे ते म्हणत. बापूंकडून शिकलेल्या प्रत्येक गोष्टीचा योग्य मार्ग आहे, ज्या विचाराने क्रांती आणली ती गांधीवादी होती. तो एक विचार असा की, तुम्ही शेवटी केलेल्या अत्याचाराला कंटाळताल आम्ही जुलूम सहन करू पण आम्ही हात उचलणार नाही, हीच ती गांधी निति, गांधी विचार, आणि गांधीवाद म्हणून ओळखला गेला. परन्तु परिणामत: क्रांतिका-यात जहाल आणि मवाळ मतवादी अशा गटात विभाजन झाले. नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंग आणि राजगुरु यांच्या जहाल मतवादाचा अंतर्गत सामना बापूजी यांना करावा लागला. धर्माच्या नावावर मोहमद अली जीना सारख्या धार्मिक कट्टर पंथियाचा मुकाबला त्यांना करावा लागला. याचे पर्यावसन म्हणून धार्मिक दंगे सोसावे लागले. जनतेला अनेक हत्या, अत्याचार यांना सामोरे जावे लागले. धार्मिक व भौगोलिक फाळणी सोसावी लागली. याचे सर्व पातक, राजकीय रोष गांधीजीला पचवावे लागले. याच पुजनिय बापूजी (महात्मा गांधी) च्या स्मरणार्थ ही हिंदी काव्यपंक्ति!

राष्ट्रपिता तुम कहलाते हो सभी प्यार से कहते बापू,
तुमने हमको सही मार्ग दिखाया सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
हम सब तेरी संतान है तुम हो हमारे प्यारे बापू।
सीधा सादा वेश तुम्हारा नहीं कोई अभिमान,
खादी की एक धोती पहने वाह रे बापू तेरी शान।
एक लाठी के दम पर तुमने अंग्रेजों की जड़ें हिलायी,
भारत माँ को आजाद कराया राखी देश की शान।

गांधी सारखे लोक मरत नाहीत

[rb_related title="Also in This Issue" total="2"]

त्याच गांधींच्या देशवासी, तथाकथित एका राष्ट्रवादी म्हणवीणा-याने देश स्वतंत्र होताच त्यांचा जीव घेतला. हा कसला राष्ट्रवाद आहे! केवळ वैचारिक मतभेदामुळे एखाद्याला जीवे मारणे ही आपली संस्कृती कधीच नव्हती. मात्र "गांधी" सारखे लोक मरत नाहीत. गांधीजींना हवे असते तर ते त्यांच्या हत्येची घटना टाळू शकले असते. सरदार पटेल यांनी त्यांना आधीच याबाबत चेतावणी दिली होती. तसेच आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था करण्यासाठी परवानगी मागितली होती. पण गांधीजींनी यास नकार दिला. कारण त्यांचे मते हे नंतर त्याच्या चारित्र्याला व विचाराला कमजोर करेल, जे त्याला कोणत्याही किंमतीला मान्य नव्हते. जीव देऊनही नाही. महात्मा गांधी त्यांच्या मृत्यूपर्यंत ते त्यांच्या चरित्रात राहिले, आणि ते चांगले अबाधित राहिले. म्हणूनच तो एक "महात्मा गांधी" आहे. ते विलक्षण आहेत, ते विलक्षण आहेत कारण इंग्रजांच्या सैन्य शक्ति, कूटनीतिचा मुकाबला त्यांनी सहनशक्तिच्या विलक्षण ताकदी च्या जोरावर केला. अहिंसा, उपोषण, आंदोलन या विलक्षण सोशिक नितिचा अवलंब केला, जे की संपूर्ण जगताला नाविन्यपूर्ण होते. नंतर ते जगाचा 'गांधी आदर्श' म्हणून आजपर्यंत अबाधित राहिले. मग हाच आदर्श अवलंबून अनेक जागतिक, अनेक राष्ट्रांचे अंतर्गत प्रश्न सुटले. म्हणूनच गांधींसारखा कोणी एकच महान व्यक्ति शतकात एकदाच जन्माला येतो, एक युगांतर…. आणतो. मग याच गांधीवादाचा, याच गांधीनितिचा अवलंब आपण वैयक्तिकरित्या, तसेच अनेक सामाजिक व राजकीय समस्यांमध्ये का करू नये.

1 Marathi Kavita lek: लेक मायेच आभाळ brings ultimate daughter father love

father daughter love

Marathi Kavita lek brings a special bond between father and love, this poem has given a special attentions to readers about the love between father and daughter in the poem लेक मायेच आभाळ

Marathi Kavita lek: लेक मायेच आभाळ

sea sunny beach sand Marathi Kavita lek: लेक मायेच आभाळ
Marathi Kavita lek: लेक मायेच आभाळ | Photo by Pixabay on Pexels.com

लेक अंगणाची शोभा लेक मायेच आभाळ...

घरा दाराच्या सुखाशी तिची जोडलेली नाळ...

तिच्या घरात येण्यानं किती मुरडती नाक...

तिचचा लवते खरं सा-या जगाच याचाक...

तिला जलामापासून दुःख वाट्यालाच फार...

मोठी झाल्यावर होते माय बापाचा आधार...

तिच्या बोबड्या बोलानं उरी मिळविते जागा ...

दुडूदुडू चालताना घेई अंगणाचा ताबा...

तिच्या कौतुकाच गाणं गाई हिरवं शिवार...

तिचा शाळेत नेहमी येई पहिला नंबर...

माय बापाची लाडकी पोर सानूली ती परी...

तिचं हसणं खेळणं जणू सुखाच्या गं सरी...

पोरं उपवर होता येती पाहुणे दारात...

खणा नारळाची ओटी तिच्या देई पदरात...

तिच लगीन ठरता दारी मांडव थाटतो...

तिला निरोप देताना मनी हुंदहुं का दाटतो...

लेक नांदायला जाता घर खायाला उठते...

नव-याच्या मर्जीने माय बापाला भेटते...

अशा लाडक्या लेकीचा काय सांगावा मी लळा...

दारी अंगणी फुलला ऋतू श्रावण कोवळा...

Also read another marathi poem: Surabhi Mahajan And Her Marathi Poem, काहूर

Ovarian Cyst: अनियमित मासिक पाळी असलेल्या महिलेमध्ये गर्भधारणा शक्य आहे

नमस्कार मित्रांनो, मला हे जाहीर करण्यात आनंद होत आहे की अंडाशयात गळू (डिम्बग्रंथि गळू - Ovarian Cyst) जमा झाल्या असल्या तरीपण स्त्रीमध्ये गर्भधारणा शक्य आहे. तथापि, पहिला संदेश हा आहे जो मी सर्व स्त्रियांना देऊ इच्छितो कि अंडाशयात गळूच्या गाठी असल्याने आपण गर्भवती होणार नाही या विचाराने निष्काळजी नसाल. तीन महिन्यांच्या अनियमित कालावधीनंतर, चौथ्या महिन्यात मी डॉक्टरांना भेट दिली आणि तिला माझ्या भूतकाळातील इतिहासाबद्दल सर्व काही समजावून सांगितले.

काही महिन्यांपूर्वी मी गळूवर औषध घेत होती. चर्चेनंतर, डॉक्टरांनी मला काही औषधे दिली आणि सल्ला दिला

कालावधीशी संबंधित समस्यांवर कधीही जास्त वेळ वाट पाहू नका

डॉक्टरांनी सल्ला दिला

मी काही दिवस औषधे घेतली आणि नेहमीप्रमाणे माझी दैनंदिनी सुरू केली. तरीही मला स्पष्टपणे आठवते की मी डॉक्टरांकडे जाण्यापूर्वी, आठवड्यापूर्वी माझ्याकडे काही स्पॉट्स (रक्तस्त्राव) होते, मी त्याकडे दुर्लक्ष केले. मी शारीरिक संबंधावर निष्काळजीपणा केली. एकदा मी ऐकले होते की अनियमित काळात गर्भधारणेची शक्यता नाहीशी असते, विशेषत: जेव्हा तुम्हाला अनियमित मासिक पाळी असतात तेव्हा.

डॉक्टरांच्या सल्ल्यानुसार मी एका आठवड्यासाठी औषधे घेतली आणि डॉक्टरांकडे परत जाऊन विचारले की या गोळ्यांनंतरही मला मासिक पाळी का येत नाही. मला भीती वाटली की औषधांनंतरही मला मासिक पाळी का येत नाही, एक किंवा दोन नाही तर मी त्याने एकूण एक आठवडा घेतला. डॉक्टरांनी गर्भधारणा तपासण्यासाठी शेवटच्या वेळेप्रमाणेच मूत्र चाचणी करण्यास सांगितले. या परीक्षेची गरज का पडली ह्यामुळे मी हसत होती कारण अशा काही गोष्टी नाहीत ज्या आम्ही नियोजित केल्या नव्हत्या, मला काहीही खात्री नव्हती कि मी अनियमित पाळीमध्ये (ovarian cyst) प्रेग्नन्ट होणार मानून. अनावश्यकपणे, मी गर्भधारणा चाचणी करण्याची किट घेतले आणि माझे हसू चालू ठेवून दोन थेंब ठेवले आणि थेंब दुसऱ्या ओळीत पसरली आणि माझ्या पतीकडे पाहिले. आम्ही दोघे एकमेकांकडे बघून हसत होतो. किताचा रेसुलत यायला वेळ होता.

अरे, डॉक्टरांच्या सल्ल्यानुसार करू द्या, इतर औषधे घेण्यापूर्वी गर्भधारणा तपासणे महत्वाचे आहे

डॉक्टर

मी आमचे भाषण संपवल्यानंतर, मी किटकडे पाहिले आणि मला त्वरित धक्का बसला. माझ्या डोळ्यांतून गालावर अश्रू आले. मी भविष्यात कोणत्याही बाळाची योजना करीन असा विचारही केला नव्हता. मी माझ्या आयुष्यातील, माझ्या एकुलत्या मुलीवर आनंदी होते आणि माझ्या पतीकडून तसेच माझ्या कुटुंबातील कोणत्याही सदस्याकडून कोणतीही दुसऱ्या मुलासाठी आग्रह नव्हता. तथापि, माझ्या मार्गात आलेल्या अनियोजित गोष्टींमुळे मला तत्काळ अश्रू आले जे मी मानसिकदृष्ट्या किंवा शारीरिकदृष्ट्या तयार नव्हते. मी नुकतीच त्या सर्व गोष्टींमधून बाहेर पडली होती. मी तुम्हाला सांगते की आई होणे हे आयुष्यातील सोपे काम नाही. त्यातून बाहेर पडण्यासाठी जवळजवळ तीन वर्षे लागतात (जोपर्यंत तुमचे बाळ अन्न, झोप आणि स्वतःचे जेवण घेण्याच्या बाबतीत स्वतंत्र होत नाही).

आम्हा दोघांना निकाल बघून धक्का बसला. माझे पती माझ्याकडे पाहत होते, मला हे समजवण्याचा प्रयत्न करीत होते की हे सर्व तुझाच निर्णय आहे, हे तूच ठराव कि तुला ठेवीचे आहे कि नाही. आम्हाला आता एक मोठा निर्णय घ्यायचा होता आणि त्यावर विचार करण्यासाठी बराच वेळ हवा होता. डॉक्टरांनी सांगितले की पुढील आठवड्यात आम्हाला कळवा जेणेकरून आपण औषधी सुरू करू शकू आणि जर होय, तर गर्भधारणेची पुष्टी करण्यासाठी सोनोग्राफी अहवाल करणे गरजेचे आहे.

आम्ही दोघांनी जास्त वेळ घेतला नाही आणि गर्भधारणा आणि दुसऱ्या बाळाचे पालक करण्याचा निर्णय घेतला. कुटुंबातील सर्व सदस्यांनी सकारात्मक नोट्ससह सल्ला दिला आहे. आम्ही दोन दिवसात सोनोग्राफी केली आणि आम्ही सर्वजण आनंदी होतो की बाळ सुरक्षित आहे आणि कोणत्याही गुंतागुंतीशिवाय.

Mystery of Kamakhya temple that nobody will tell you

Kamakhya template

Kamakhya Devi temple, in India, has secret facts and divine powers. The Lord Shiva known as the Father God and Goddess Durga referred to as the Mother Goddess from the age of the Indus valley Civilization of Mohenjo-daro and Harappa (The civilization dated between 2600 BCE -1900 BCE).

The earliest religious text, the Rigveda, mentions a god named Rudra, which is a name used for Shiva in later Ancient traditions. In Indian culture, the Father God represented by the ‘Lingam’ (the male symbol) and the Mother Goddess by the ‘Yoni’ (the female symbol). This representation of Shiva-Shakti by the Lingam-Yoni is worshipped in their symbolic representations throughout India. 

Shiva — The Destroyer of illusions and imperfections of the world

Secrets about Kamakhya Devi Temple that nobody will tell you | Pic Credit to Wikimedia Commons

In contemporary meditation and healing codes, yoga has secured its place, and it is evident that it is here to stay. Over 15,000 years ago, predating all religion, Adiyogi, the first Yogi, transmitted the science of Yoga to his seven disciples, the Saptarishis (Seven Disciples).

Shiva/Sadashiv/Adiyogi is the third God of the Hindu triumvirate, and his role is to destroy the universe to recreate it. He is the destroyer of illusions and imperfections of the world, paving the way for beneficial change. To call someone, a yogi, means he has experienced existence as himself. If you have to contain the existence within you even for a moment as an experience, you have to be that nothingness. Only nothingness can hold everything.

GOD and AUM

Lord Vishnu and Brahma heard a sound OM, and they became curious to know the origin of that sound. Vishnu saw a letter 'A' towards the south of that Shivalinga. He also saw the letters 'U' and 'M' center towards the north of the Shivalinga and in its center, respectively. Subsequently, he saw the mantra 'OM', which was dazzling like a Sun. 

There was no beginning and end to this mantra OM. As they were making efforts to know about its origin, suddenly Shiva appeared in the form of a sage. He gave them the knowledge regarding OM. He also revealed to them that Lord Brahma originated from the letter 'A', Vishnu originated from letter 'U' and Shiva himself originated from letter M. The letter A signifies creation, U Signifies nurture and M signifies salvation.

“The three letters A, V & M also symbolizes the basic causes of creation. A or Brahma also symbolizes the semen, U or Vishnu symbolizes the Vagina and the sound of OM is Maheshwar- the combined sound of A, U and M. All the three united from which manifested a golden egg. This golden egg remained submerged in the water for one thousand years. The almighty then cut that egg into two halves, from which appeared heaven and Earth.” 

Maha Shiv Puran

The Mother Goddess of The Kamakhya Devi Temple

The beauty of the world manifested as a twofold essence — a man and woman, soul and body, expanding the horizons of human life. On the plane of symbolism, the soul of things becomes associated with the manly form, and the manifested energy (Nature, as we call it) with that of woman and motherhood. This conception procreates a powerful and cosmic methodology that god and nature are necessary to each other as the complementary manifestations of one, just as we find in the male and the female together, humanity. Under this aspect, the one existence known as Purush and Prakriti, Soul and Energy.

Tantric literature and the bleeding Mother

According to Google Arts and Culture, “Tantra mentioned to be a system comprising incredible, primitive, unscientific beliefs, which promotes blind faith and exploits undeveloped or under-developed minds.” In Tantric literature, the father god is symbol represented by a white dot signifying the likeness with semen, while the Mother Goddess served by a red dot to suggest the correspondence with the menstrual blood contained in the ovum.

Kamakhya Temple

The Kamakhya Devi Temple, which is situated high aloft a hill called Neelachal Parbat or Kamagiri in the city of Guwahati. It is one of its several religious landmarks, which speaks volumes about the rich historical treasure over which the state of Assam accommodated. The temple holds an exceptional place in tantra and culture, since it is one of the most famous temples dedicated to mother worship in India. Therefore, the temple is the abode of the Mother’s figure in the form of a Yoni—shaped cleft in a rock that shrouds a natural spring, keeping the cleft moist. Albeit there is no scientific proof of the belief tantrics that around July/August, earth’s menstruation takes place and the river Brahmaputra runs red, a great ceremony takes place to celebrate the power of the Goddess.

Poem “Hideaway” by Nidhi Agrawal

The Goddess
Without birth or death
The Goddess of Kamakhya is on the far side
Of cosmology.
She is the blooming bride of Shiva
Granting salvation, yielding mercy and liberation.
Dwelling in the fertile shrine of Prakriti
She retires to the love of Shiva.
Day and night, I slope downwards
From the anguish of rejection
To find a safe, sweet spot meeting with
The hollow depression hydrated by
The underground fountainhead showering
Love, mercy, forgiveness, peace, and prosperity.
This stone studded vulva
Surrounded by female blood and membrane is my hideaway;
My Mother’s abode.

Furthermore, read another poem by Megha, Farewell Poem, and power the sunshine in every beginning of life. Besides, do not miss on the soul scrubbing poem Vrukshavalli Amha Soyari which tells the actual meaning of love.

Hindi Poem “Not My Intention” by Guest Poet Ashish Rasila

Ashish Rasila

Hello readers! Welcome to lekh my name is Ashish Rasila and I wrote Hindi poem “Not My Intention — मेरा मक़सद नहीं”. I am an extensive reader and writing poetry since 2015. My birthplace is Firozpur; however, I grew up reading and writing in Haryana. However, I love to read biography of the famous personalities around the world. My favorite food is 'Kheer' as well as most of the famous Indian foods.

My favorite book is Encyclopedia. I believe, Chandigarh is the most beautiful city he has ever seen so far. Because of two things, I graduated in the city and second thing, I completed my education with my best friend and real brother, Nitish Rasila.

Hindi Poem “मेरा मक़सद नहीं” by poet Ashish Rasila and its Analysis

Poem “मेरा मक़सद नहीं — Not My Intention”

खुद को किसी से बेहतर कहना मेरा मक़सद नहीं,
किसी का दिल दुखा कर खुश रहना मेरा मक़सद नहीं।

मैं जो भी था,  मैं जो भी हूं , मैं जो भी होने वाला हूं ,
अपने हालों पर किसी को मुजरिम बनाना मेरा मक़सद नहीं।

मुझ से अनजाने में किसी का दिल भी टूट सकता है ,
मगर मैं पलट कर माफ़ी ना मांगू, मेरा मक़सद नहीं ।

कुछ टूटे हैं मुझ से रिश्ते, कुछ लोगों ने मुझ से तोड़े हैं,
मगर रिश्तों के टूटने से मैं ख़ुद टूट जाऊं, मेरा मक़सद नहीं ।

मैं  किसी के ऐब गिनाता फिरूं ये मेरी ज़हनियत नहीं है ,
अपने दुश्मन को भी बुरा कहना, मेरा मक़सद नहीं ।

झुक जाए सर मेरे एहतराम में, ऐसी शोहरत का मोहताज नही,
किसी का सर झुका कर उसे गले लगाना, मेरा मक़सद नहीं।

किसी के सपनों पर मैं अपने सपनों की नीव नही रख सकता,
किसी को हरा कर जितने की मुराद रखना, मेरा मक़सद नहीं।

ये दुनियां एक दुनियां है मेरी दुनियां तो कहीं और है ,
ख्वाबों की दुनियां में हकीकत को भूल जाना, मेरा मक़सद नहीं।

मेरा गलत होना या सही होना तुम्हारे नजरिए से है,
किसी के कहने पर मैं बदल जाऊं, मेरा मक़सद नहीं ।

खुदा है तो खुदा होगा, मुझे उसके होने पर ऐतराज नहीं,
खुदा के नाम पर मैं मिट जाऊं ऐसा सोचना, मेरा मक़सद नहीं ।

मुनासिफ है की कल बुलंदियों का मैं आसमान चुमूं ,
मगर मैं अपनी ओकाद भूल जाऊं, मेरा मक़सद नहीं ।

इस दुनियां में रहने वाले हम सभी किरायेदार  हैं ,
मैं जैसे आया था, वैसे ही लौट जाऊं, मेरा मक़सद नहीं ।

मैंने बहुत सोच समझ कर ये अपनी बातें रखी हैं  ,
लोग अपने दिल पर ना लगा बैठें, मेरा मक़सद  नहीं ।।

Translation & Criticism of The Hindi Poem “मेरा मक़सद नहीं - Not My Intention” by Lokesh Umak

It is not my intention to call myself better than anyone,
 It is not my intention to be happy by hurting the heart of someone else.
 Whatever I was, whoever I am, whatever I am going to be,
 It is not my intention to make anyone guilty on my status.
 I can unintentionally break someone's heart,
 But I will not apologize by turning back, it is not my intention.
 Some have broken relationships with me, some people have broken with me,
 But due to the breakdown of relationships, I break myself, it is not my intention.
 It is not my duty to count someone else's name.
 It is not my intention to call my enemy bad.
 Bow down head in my respect, do not want such fame,
 It is not my intention to hug someone by bowing their head.
 I cannot lay my dreams on someone's dreams,
 It is not my intention to wish to win by defeating someone.
 This world is one world, my world is somewhere else,
 Forgetting reality in the world of dreams is not my intention.
 My being wrongs or being right is from your point of view,
 I should change at the behest of someone, not my intention.
 If God is there, then God will be there, I don't mind being there.
 It is not my intention to think that I should perish for God.
 It is beneficial that tomorrow I should kiss the sky of heights,
 But let me forget my position, not my purpose.
 We are all tenants living in this world,
 I should return as I came, it is not my intention.
 I have kept these things very thoughtfully,
 People should mind it, is not my intention.

[rb_related title="Also in This Issue" total="2"]

Criticism of the poem “Not My Intention”

The poet has many things to discuss here and has different intentions. However, they are unique and special for him. He prefers not to call himself good, nor wanted to hurt someone. He feels it would be better not to live his life guilty any more. The poet never wants to break someone's heart, if at all, for that, he is always ready to apologize. He wants not to finish himself on the broken relationship with his loved and dear one. His soul is pure, he never wants to call his enemy bad. The poet neither lay his dream on someone else, nor win by defeating anybody. There is worship for God, but not ready to die for him. He wants to touch the sky irrespective of this position, however, don't want to forget his purpose. Whatever is his thought people should mind it, isn't his intension at all.

Guest Poet: Surabhi Mahajan and Her Marathi Poem, काहूर (Kahoor)

Moon light night is beautiful

Marathi poem “काहूर” (kahoor)by Poet Surabhi Mahajan. She work as a full-time Computer Engineer in Los Angeles. She was born in Mumbai and raised in Panvel (Navi Mumbai) by a family which loves and celebrates arts, science, and literature. Though, Her full-time job leaves her with little spare time. Surabhi enjoy reading books, explores her literary abilities in the form of poetry and write-ups, she wrote Marathi Poem, काहूर. Additionally, Surabhi love trekking-hiking, plant parenting, cooking, and nature photography in her free times.

During her Bachelor's degree in VJTI Mumbai. There, she has worked as an editor for Marathi language for Institute's magazine. And there she could also interview personalities like Dr. Anil Avchat, Ujjwal Nikam, Vishwas Nangre Patil. These encounters have always been her inspirational points.
Surabhi enjoy travelling to new places, exploring Pacific Coastline in the USA is her one of the recent favorite activities. Especially the ethnic and modern world's amalgamation in San Francisco enchants her the most.

Though Indian food is her all-time favorite, Surabhi also loved Italian and Mediterranean food. However, Few of her Indian authors are G. D. Madgulkar, Maruti Chitampalli, P. L. Deshpande, Narayan Dharap and Balkavi as well as American authors including Dan Brown and many more.

Poetry is the journal of a sea animal living on land, wanting to fly in the air.

Carl Sandburg

Marathi Poem: “काहूर” (Kahoor) by Surabhi Mahajan

Her blog Shabda Sur where she keeps her writings up-to-date Visit her blog

काळोखल्या पौर्णिमेला
माजले काहूर होते
चांद दिसतो उत्तरेला
अन् राहिले घर दूर होते
चांद दिसतो उत्तरेला अन् राहिले घर दूर होते ||
तारकांच्या मांडणीचे
नक्षत्र मशहूर होते
सोमरहित आसमंती
आत्मप्रेमात चूर होते
काळोखल्या पौर्णिमेला माजले काहूर होते ||
ग्रासणारे या धरेला
समंध कसे मग्रूर होते
तिमिरघन काननाचे
आत्मसुर भेसूर होते
चांद दिसतो उत्तरेला अन् राहिले घर दूर होते ।।

Analysis of the Poem “काहूर” in Marathi

वाईटाचा चांगल्यावर , असत्याचा सत्यावर विजय मिळवण्याचा जगात सर्वत्र प्रयत्न चालू असतो. जसं चंद्रकला कृष्ण पक्षात असताना नभात चांदण्या मिरवू लागतात आणि अंधारलेल्या धरेवर समंध उत्पाती होतात.

Translation

Everywhere in the world, people make an effort to separate good from bad and true from false. Similar to when Chandrakala is on the side of Krishna, the moon begins to move in the sky and the sky becomes dark.